पंजाबी समाज पर अभद्र टिप्पणी ! महिला पर दिन में प्रिंसिपल, शाम को तांत्रिक बनने के आरोप ! कनखल थाने में हंगामा !
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मामला अरिहंत विहार कॉलोनी का है, जहां एक निजी स्कूल की संचालिका द्वारा अवैध अतिक्रमण करते हुए सड़क पर पूजन स्थल बनाए जाने के प्रयास किया गया, कॉलोनी वासियों के विरोध के चलते जब धार्मिक अतिक्रमण की योजना परवान ना चढ़ सकी तो मामला तंत्र-मन्त्र , जादू-टोने से होता हुआ पंजाबी समाज पर अभद्र टिपण्णी करने तक पहुच गया I आरोप हैं कि उक्त स्कूल संचालिका द्वारा ना केवल कॉलोनी वासियों को व्हाट्सएप पर सन्देश भेजकर स्वयम को माँ काली की उपासक बताते हुए अपनी परालौकिक शक्तियों के प्रयोग से विरोधियो का अनिष्ट करने की धमकी दी गई साथ ही फेसबुक पर एक लम्बे चौड़े पोस्ट के माध्यम से कॉलोनी के सम्मानित निवासियों को भिखारी, नास्तिक, अधर्मी, अहंकारी जैसे आपत्तिजनक शब्दों से संबोधित करते हुए समस्त पंजाबी समाज पर अभद्र टिपण्णी भी कर दी I
पंजाबी समाज की अस्मिता से मामला जुड़ जाने के कारण पंजाबी समाज द्वारा कनखल थाने का घिराव करते हुए हंगामा काट दिया गया I स्कूल संचालिका द्वारा लिखित में माफ़ी मांगने पर पंजाबी समाज द्वारा तहरीर वापस लेते हुए आनन् फानन में मामले का पटाक्षेप भी कर दिया गया I
स्कूल संचालिका पर गंभीर आरोप ! प्रशासन एवं समाज के जिम्मेदार लोगो द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं लेने पर रोष !
मामले की तश्तीफ करने के लिए अरिहंत विहार के निवासियों से वार्ता की गई जिसमे सामने आया कि मामला केवल पंजाबी समाज की अस्मिता से सम्बंधित नहीं था बल्कि उससे कही अधिक गंभीर था परन्तु पुलिस प्रशासन एवं समाज के जिम्मेदार लोगो द्वारा इसे केवल एक पंजाबी समाज की अस्मिता से जोड़कर माफ़ी मंगवाने तक सिमित कर दिया गया I नाम नहीं छापने की शर्त पर एक स्थानीय निवासी ने बताया कि आरोपी महिला अपने निवासीय भवन में दिन में छोटे बच्चो के लिए एक स्कूल चलाती हैं, स्कूल की अवधि में उक्त महिला स्कूल की प्रिंसिपल बन जाती हैं, स्कूल की छुट्टी के बाद उक्त महिला तांत्रिक अवतार ले लेती हैं और काली माता की उपासक बनकर भोले भाले लोगो को अंधविश्वास में धकेल कर उन्हें ठगने का काम करती हैं I जिस कनेर के पेड़ के चारो ओर बने चबूतरे को तोड़े जाने पर विवाद हुआ है उसमे अपने मृत पति की आत्मा का वास बताते हुए उसी पेड़ पर खुल्लेआम टोने-टोटके जैसी तांत्रिक क्रियाएँ करती हैं I रोज़ देर शाम तक तेज़ आवाज़ में धार्मिक संगीत बजाकर रिहाइशी कॉलोनी की शांति भंग रखना जैसे कृत्य इनके लिए आम हैं I अपने दावे के समर्थन में प्रश्नगत पेड़ पर इस विवाद के बाद की गई तांत्रिक क्रियाओ के साथ आरोपी महिला के तांत्रिक अवतार के चित्र भी हमें उपलब्ध करवाए गए I

बच्चो की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी ?
मामला अतिसंवेदनशील होने के कारण प्रशासन एवं समाज पर स्वयं ही प्रश्नचिन्ह लगा रहा है I कॉलोनी वासियों से आरोपी महिला द्वारा तांत्रिक क्रियाएँ करने एवं स्थानीय निवासियों के अनिष्ट करने की धमकी देने की लिखित शिकायत मिलने के बावजूद पुलिस प्रशासन द्वारा मामले को पंजाबी समाज से माफ़ी मंगवाकर रफा दफा कर दिया गया जिस कारण अब कॉलोनीवासी अनजाने भय के साएँ में रहने को विवश हैं I
ऐसे में जब आए दिन समाचार पत्रों के माध्यम से देशभर में तांत्रिको द्वारा छोटे बच्चो को निशाना बनाए जाने कि घटनाएँ सामने आती रहती हैं I ऐसे में प्रश्न ये है कि उक्त महिला के सानिध्य एवं संरक्षण में जो बच्चे शिक्षा का पहला पाठ पढने जा रहे हैं उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है ? पुलिस प्रशासन की ? जिला शिक्षा अधिकारी की ? या समाज के उन तमाम जिम्मेदार नेताओ की जिन्हें इस मामले में पंजाबी समाज की अस्मिता से अधिक कुछ दिखाई नहीं दिया ?

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