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चुनाव मेयर का नहीं, अस्तित्व का है !

चुनाव मेयर का नहीं, अस्तित्व का है !

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माननीय जी पर पहले नगर निगम की हार का ठीकरा, उसके बाद विधानसभा चुनाव में जिले में हार का ठीकरा, अब फिर से मेयर चुनाव में हॉपिस्टल को पीपीपी मोड पर देना और कॉरिडोर का मुद्दा उठा कर पूरा बर्फ में लगाने की कोशिश, ताकि 2027 में टिकट के भी दरवाजे बंद हो जाएं !

वैसे दूसरी ओर शहर में चुनाव, युवाओं के भविष्य पर, स्मैक इत्यादि नशों के फलते-फूलते कारोबार पर, शहर में खुल्लेआम हो रही वेश्यावृति जैसे मुद्दों पर हो तो बेहतर है जो विगत एक दशक से लगातार सुरसा की तरह बढ़ता ही जा रहा है….बाकी देखो क्या होता है चुनाव में, सही मायने में ये चुनाव मेयर का तो है लेकिन अस्तित्व का भी है, आप समझ रहे है ना ? वैसे वों ये कह सकतें है कि “हम किसी व्यवहार से परेशान नहीं है क्योंकि हमारी दुकान में फिलहाल समान नहीं है”, बाकी किसी भी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता हो इस बात का ध्यान रखना की खुद से ना मिल सको ऐसी गुंजाइश रखना अपने नेता से इश्क करना लेकिन उनके लिए देवदास ना होना !


मेरा मानना है कि चाहे चुनाव कोई भी हो वह केवल ओर केवल विकास और निरंतर हो रहे बदलाव का अनुपूरक होना चाहिए Iवर्तमान सत्तारूढ़ दल बड़ा ही अजीब व्यवहार करता नजर आ रहा है मानो के कोई लॉलीपॉप हो और प्रदेश की जनता कोई छोटा बच्चा ,बस ललचाओ ओर काम चलाओ ! इस बार भी बीजेपी का बड़ा ही अजीब नारा है “ट्रिपल इंजन सरकार”, जिसे सुनकर एक बुद्धिजीवी पहले इनकी बुद्धिमत्ता पर हंसेगा ओर फिर ये विचार भी अवश्य करेगा के ये आखिर जनता को समझ क्या रहे है। जो दल भारत में सरकार बनाने के बाद भी 2022 में प्रदेश में डबल इंजन की सरकार की दुहाई इसलिए दे रही थी कि विकास को ज्यादा गति दे सकेंगे पर विगत 3 वर्ष का रिजल्ट इनकी पूरी तरह पोल खोलता नजर आ रहा है फिर एक बात यह भी है कि जो लोग बैसाखी के दम पर विकास की बात करते हो निश्चित तौर पर उनकी इच्छा शक्ति कमजोर ही है और वह केवल अपना एजेंडा सेट करने के अतिरिक्त कुछ नहीं कर सकते जैसा कि प्रदेश में हो भी रहा है। विगत 3 वर्षों में जनता ने देख ही लिया है कि वर्तमान सरकार केवल केंद्र सरकार की पपेट के अतिरिक्त ओर कुछ भी नहीं है

हरिद्वार के विषय में जीता जगता उदाहरण मेडिकल कॉलेज है जिसे बनाने के विषय में सरकार और स्थानीय विधायक ने बहुत वहा-वाही लूटनी चाही , और इस परिप्रेक्ष्य में इतने नीचे आ गए के निवर्तमान मेयर जिन्होंने 500 बीघा नगर निगम की जमीन इस कॉलेज के लिए आबंटित करी उनका नाम तक शिलालेख पर लिखवाना भूल गए। खैर इसका परिणाम लोगों के जहन में सुरक्षित है और आगामी 23 तारीख को मतदान के रूप में अवश्य ही बाहर भी आएगा।

चर्चे तो चुनावी हवाओ में ऐसे भी चल रहे हैं कि अब  पीपीपी मोड पर इस कॉलेज को निजी हाथों में सौंप कर एक माननीय जी ने अपने चेले-चपाटों को इस कॉलेज के विभिन्न ठेके भी आवंटित करवा दिए है I और तो और शहर में ये भी चर्चाएँ गरम हैं कि जिस निजी संस्था को उक्त कॉलेज दिलवाया गया है उसके द्वारा मोटा चढ़ावा भी चढ़ा दिया गया है जो अब नगर निगम चुनाव में समीकरण बनाने ओर युवाओं को नशे की ओर धकेलने के काम आएगा। ख़ैर चुनावों के दौर में इन चर्चाओ में अफवाहें इस प्रकार मिल जाती हैं की सच और झूट का पता स्वयं ईश्वर ही लगा सकते हैं I

अब चयन हरिद्वार की सम्मानित जनता को करना है वह क्या चयन करेंगे वहीं पुराना मक्कड़जाल जिसमें हरिद्वार पिछले 20 से भी अधिक वर्षों से फंसा है या कुछ बदलाव की शुरुआत ! मतदान अवश्य करें और मतदान नशे के खिलाफ करे ! मतदान विकास के लिए करे ! मतदान शिक्षा के लिए करे ! मतदान अपने हरिद्वार के लिए करें !

लेखक-
ईशान शर्मा सरायवाला
पूर्व इकाई अध्यक्ष हरिद्वार NSUI
हरिद्वार शहर अध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण उत्थान परिषद,उत्तराखंड
अध्यक्ष श्री गंगा सेवा ट्रस्ट, हरिद्वार

(Disclaimer – यह लेखक के निजी विचार हैं )

2 comments

comments user
Gyan

Ek rajya ke sudhar evam vikas ke liye ek sahi ummidvar ka hona utna hi zaruri hota hai jitna ki upsc clear karne ke liye sahi education, humare aapke upper pura visvas hai.

comments user
Gyan

Ek rajya ke sudhar evam vikas ke liye ek sahi ummidvar ka hona utna hi zaruri hota hai jitna ki upsc clear karne ke liye sahi education, hummare ko aapke upper pura visvas hai.

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