नगर निगम चुनाव परिणाम : भाजपा का पराक्रम या कांग्रेस का लचर प्रदर्शन ?
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हरिद्वार में नगर निगम चुनाव हाल ही में संपन्न हुए और चुनाव परिणाम की घोषणा के साथ ही शहर कांग्रेस के संगठन की कार्यशैली की कलई भी खुल गई I कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले चुनाव से भी बदतर रहा, जहां एक ओर कांग्रेस एक बार फिर से जनता की नब्ज टटोलने में नाकाम रही वहीँ दूसरी ओर महानगर अध्यक्ष को छोड़ कर अन्य कांग्रेस के दिग्गज अपने गृह वार्ड तक नहीं बचा सके I शहर में कांग्रेस संगठन की यह दुर्दशा वर्षो के कुप्रबंधन एवं स्थानीय नेताओ की आपसी भीतरघात की परंपरा का नतीजा है जो अब अपनी पराकाष्ठा की ओर अग्रसर है I
अब इस हार का मंथन करते हुए जब मैं, शहर कांग्रेस को दिए हुए अपने जीवन के लगभग 20 वर्षो की यात्रा को देख रहा हूँ तो, अपने इस अनुभव के आधार पर मैं इतना तो निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि संगठन को घुन लगाने वाले संगठन में ही बैठे हुए है, और वो गणमान्य लोग किसी भी नए चेहरे को मुख्य धारा में आने देना भी नहीं चाहते। जहां एक और बीजेपी का संगठन एवं कार्यकर्त्ता लगातार एक सुदृढ़ प्रबंधन के अनुसार निरंतर चुनावों की तैयारी करते है, वो भी इस विषय पर विचार किए बिना कि क्या समीकरण हैं ? टिकट किसका होगा ? या फिलहाल किसकी लॉबिंग मजबूत है ? वही दूसरी ओर हरिद्वार कांग्रेस इसी बीमारी से बुरी तरह से ग्रसित है और तत्काल बड़ी सर्जरी की आवश्यकता होने के बावजूद भी इसके वर्तमान नेता इसे इस भंवर से बाहर नहीं आने देना चाहते ।
शहर कांग्रेस में कार्यशैली का आलम ये है कि, यहाँ पहले किसी चुनाव के आने के इंतजार किया जाता है, फिर टिकट किसका होगा इस बात का इंतजार होता है, और अंत में जिसका टिकट होता है उसे अन्य धड़े बर्फ में लगाने पर मेहनत करते है, बस यही है हरिद्वार कांग्रेस की राजनीति करने और चुनावों को लड़ने की प्रणाली। मेरा मानना है कि यदि कांग्रेस को हरिद्वार में अपनी जड़ों को मजबूत करना है तो निश्चित तौर पर नए लोगों को आगे लाना होगा, युवाओं को भी मौका दिया जाए और अनुभवी लोगों का भी लाभ लिया जाए। एक व्यवस्थित सुप्रबंधन तैयार करना होगा और उसका अनुपालन करते हुए आगे बढ़ने की प्रवृत्ति अपनानी होगी I किसी भी बड़े नेता के इशारों पर नाचने की बजाए उस प्रबंध तंत्र का सम्मान करते हुए उसकी आचार संहिता के अनुसार कार्य करना होगा। मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि जिस दिन शहर कांग्रेस ने जमीन स्तर से मेहनत करनी शुरू कर दी और इसके नेताओं ने सर्वसम्मति ग्रहण कर ली यकीन मानिये के उस दिन से हरिद्वार में मजपा (मदन जनता पार्टी) का अस्तित्व संकट में हो जाएगा।
यह बात मैं इसलिए बोल रहा हूं क्यूंकि हरिद्वार राजनीति का इतिहास टटोला जाए तो आपको पता चलेगा की एक समय पर हरिद्वार में परचम लहराने वाली कांग्रेस में, जिस दिन से फूट के बीज डले थे उसी दिन से हरिद्वार में मदन कौशिक जी का भाग्य उदय हुआ था, और कौशिक जी की सारी राजनीति आज तक भी कांग्रेस की आपसी फुट और हल्के पन के कारण चमक रही है जिसके लिऐ माo विधायक जी ने बकायदा अपने लोगों को कांग्रेस का खास बनाकर संगठन में बिठा भी रखा है, जिन्हें हल्का सा इशारा करते ही वह संगठन को धराशाई करने से भी नहीं चुकते हैं I
कांग्रेस से इस नगर निगम चुनाव में मुद्दों के चयन में भी चूक हुई I उदाहरण के लिए – कॉरिडोर मुक्त हरिद्वार का मुद्दा ! दरअसल में कॉरिडोर के संबंध में कांग्रेस के नेता ये समझने में असफल रहे के वास्तव में हरिद्वार की जनता चाहती क्या है ! देखिए हरिद्वार का हृदय है हर की पौड़ी क्षेत्र ! और यह भी तय है कि कॉरिडोर या फिर मास्टर प्लान 2025 लागू होने पर इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा तोड़फोड़ और विध्वंस होगा, परन्तु हरिद्वार केवल यहीं तक सीमित नहीं है, हरिद्वार नगर निगम की सीमा 60 वार्ड तक है और मेरा मानना है के हरकी पैडी क्षेत्र केवल 5 या 6 वार्डो को प्रभावित करता है। फिर दूसरा पहलू यह भी है के हरिद्वार में केवल व्यापारी वर्ग या पुरोहित वर्ग ही नहीं है, इसके अतिरिक्त यहां सर्विस क्लास और पिछले अगर 10 वर्षों की बात करे तो बाहर से आकर यहाँ निवास करने वाले नागरिकों की संख्या यहां के मूलनिवासियों से अब कई गुना अधिक हो चुकी है। अब यह 90 के दशक वाली परंपरागत राजनीतिक प्रणाली किसी काम की नहीं रह गई है और अब यहां राजनीति करने वाले को यहां के नए स्वभाव को जानना होगा और समझना होगा। यहां टिहरी से विस्थापित हुए पर्वतीय लोगों का भी अब एक बहुत बड़ा वर्ग अस्तित्व में है और सिडकुल की वजह से अन्य प्रदेशों से यहां आकर रह रहे लोगों का भी एक बहुत बड़ा वर्ग है ये दोनों ही समीकरण हरिद्वार की राजनीति में निर्णायक हो चुके हैं।

अब इस पूरे परिप्रेक्ष्य में आप विभिन्न पदों के लिए हुए पिछले 4-5 चुनावों का विश्लेषण करे तो आप पाएंगे की एक ओर जहां बीजेपी इन समीकरणों को केंद्र में रख कर और उसी के अनुसार अपने प्रत्याशियों का चयन करती आ रही है वहीं शहर कांग्रेस के नीति निर्माता, मानसिक रूप से अभी 90 का दशक ही पार नहीं कर पा रहें हैं I इनके पास चुनाव प्रत्याशियों के नाम पर कुछ पुराने गिने चुने नाम है जिन्हें पूरी शहर कांग्रेस लगातार ढोने का काम कर रही है और अनेकों युवा प्रतिभाओं की अनदेखी कर रही है जिसका परिणाम प्रत्येक चुनाव परिणामों में सामने आ जाता है।
अब आप अवश्य यहां ये बात कहेंगे के ये काम तो बीजेपी भी मदन कौशिक जी के संबंध में कर रही है ! यहाँ मै आपको यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मदन कौशिक जी ने जो अपना मैनेजमेंट तंत्र बनाया हुआ है और वो जिस प्रकार से लोकल बॉडी के चुनाव में अपनी भूमिका निभाते है, उसे समझने की जरूरत है I दरअसल हरिद्वार में बीजेपी से ज्यादा वर्चस्व मजपा (मदन जनता पार्टी) का है क्योंकि श्री कौशिक ने एक योजनाबद्ध रणनीति के साथ लोगों के हितो को अपने साथ बांधा है न कि पार्टी के साथ और वह छोटे से लेकर बड़े हर चुनाव में इस कदर सक्रियता से भूमिका निभाते है मानो वह खुद चुनाव लड़ रहे हों और यही सक्रियता उन्हें हर पल आगे बढ़ाती है। शहर में कई बार ये चर्चा होती है कि विधायक जी ने 15-20 हजार वोट फर्जी बना रखे है इसलिए वो एक तरफा जीतते है। मेरी सोच इससे इतर है, दरअसल कौशिक जी ने फर्जी वोट नहीं अपितु अपने लिए वोटर के कैडर को बना रखा है, यही वह वोट बैंक है जिन्हें विपक्षी अप्रोच ही नहीं कर पा रहे है इसलिए वो इन्हें फर्जी करार दे रहे है I इन वोट्स को वो ही संगठन या नेता अप्रोच कर सकेगा जो जमीनी स्तर से तैयारी कर रहा होगा।
मेरा यह भी मानना है के अगर वर्तमान विधायक जी इस प्रकार से अपना वोट बैंक सुरक्षित कर सकते हैं तो आप भी कर सकते है पर उसके लिए आपको सुदृढ़ मैनेजमेंट की आवश्यकता होगी, उसे अब बनाइए, अपनी टीम पर ध्यान दीजिए, आज से ही शुरू कीजिए, आपने 60 वार्डो से जिन प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था चाहे वह जीते हो या हारे हों, उन पर मेहनत कीजिए और उनके वार्डो में आने वाले बूथों की समीक्षा प्रारंभ कीजिए, देखिए कि कौन-कौन से मोहल्लों में किन परिवारों के वोट प्राप्त हुए और किन परिवारों के वोट प्राप्त नहीं हुए, जिन परिवारों के वोट प्राप्त नहीं हुए उन पर काम कीजिए, तब जाकर आप लड़ाई में आओगे I
किसी भी पार्टी के टिकट ज्यादा से ज्यादा 15-20 दिन पहले ही फाइनल होते है I अब अगर कोई ये सोचे की जब टिकट होगा उसके बाद ही मेहनत करेंगे, तो फिर आप शहर कांग्रेस पर एहसान कीजिये और घर ही बैठिये तो ज्यादा अच्छा होगा I बीजेपी से या यूँ कहें कि मजपा (मदन जनता पार्टी) से लगातार मिल रही हार की समीक्षा करने पर ही आपको यह भी पता चलेगा कि किसी चुनाव में किन किन मुद्दों के साथ जाना हैं और जनता क्या चाहती है ।
लेखक-
ईशान शर्मा सरायवाला
पूर्व इकाई अध्यक्ष हरिद्वार NSUI
हरिद्वार शहर अध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण उत्थान परिषद,उत्तराखंड
अध्यक्ष श्री गंगा सेवा ट्रस्ट, हरिद्वार
(Disclaimer – यह लेखक के निजी विचार हैं)
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